20 अक्टूबर 1981 वाराणसी उत्तर प्रदेश में जन्म लेने वाले विमल चंद पांडे ने हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान दिया है |इन्होंने उपन्यास, कहानी, कविता संस्मरण, फिल्म समीक्षा आदि विधा में अपनी लेखनी का जादू चलाया है| इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है|
सोचने का समय नहीं था। लड़की ने बस क्षणांश के लिए सोचा और कब्रिस्तान में घुस गई। आदमी भी दौड़ता हुआ कब्रिस्तान के गेट में प्रवेश कर गया। लड़की एक कब्र के पीछे सिमटी हुई थी। आदमी कब्र के दूसरी ओर खड़ा था। पानी बरसना कम हो गया था। लड़की का भूतों और कब्रोंवाला डर भी कम हो गया था। 14 वर्ष की एक लड़की जो स्वभाव से बहुत डरपोक होती है एक प्रसंग के तहत उसे अपने बीमार पिता के लिए अकेले सुनसान कब्रिस्तान वाले रास्ते से गुजर कर वैद्य को लाने के अकेले जाना पड़ता है | इसी बीच के साथ ऐसा हादसा घटता है जिसके कारण मैं वह अपने डर पर विजय प्राप्त करती हैं पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं कहानी विमल चंद्र पांडे द्वारा लिखी गई कहानी
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