नागार्जुन (30 जून 1911 – 05 नवम्बर 1998) का वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र है। वे शुरूआती दिनों में यात्री उपनाम से भी रचनाएं लिखते रहे हैं। नागार्जुन एक कवि होने के साथ-साथ उपन्यासकार और मैथिली के श्रेष्ठ कवियों में जाने जाते हैं। ये वामपंथी विचारधारा के एक महान कवि हैं। इनकी कविताओं में भारतीय जन-जीवन की विभिन्न छवियां अपना रूप लेकर प्रकट हुई हैं। कविता की विषय-वस्तु के रूप में इन्होंने प्रकृति और भारतीय किसानों के जीवन को, उनकी विभिन्न समस्याओं को, शोषण की अटूट परंपरा को और भारतीय जनता की संघर्ष-शक्ति को अत्यंत सशक्त ढंग से इस्तेमाल किया है। नागार्जुन वास्तव में भारतीय वर्ग-संघर्ष के कवि हैं। नागार्जुन एक घुमंतू व्यक्ति थे। वे कहीं भी टिककर नहीं रहते और अपने काव्य-पाठ और तेज़-तर्रार बातचीत से अनायास ही एक आकर्षक सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण कर देते थे। आपात्काल के दौरान नागार्जुन ने जेलयात्रा भी की थी।
Nazm Subhash ji ki likhi kahani adhoori khwaahish, badi khoobsoorti se, Umrao Jaan, jinke husn aur adaaon ke laakhon deewaane thei, unke dard aur unki man mein dafn ho chuki khwaahishon ka sajeev chitran karti hai. Unki ekAdhoori khwaahish jo bas un
नागार्जुन के काव्य संग्रह हजार- हजार पांव वाली से ली गई रचना उनको प्रणाम… कवि ने अपनी रचना के माध्यम से उन सभी को उन सभी को शत-शत नमन किया है जिनका किसी न किसी रूप में अपनी सेवाओं के द्वारा देश ,समाज आदि के लिए अतुलनीय योगदान रहा है |नागार्जुन के द्वारा लिखी गई इस खूबसूरत प्रेरक रचना को आवाज दी है डॉक्टर पवन मिश्रा
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Anurag Tiwari