ड़ा मीरा रामनिवास (रिटायर्ड भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी) लेखन, भ्रमण, ट्रेकिंग में रूचि ।बागवानी , संगीत श्रवण, साहित्य पठन, जैसे शौक हैं प्रकृति को निहारना, बच्चों के साथ बातें करना , बुजुर्गों के साथ बैठना ,स्कूल कालेज में सम सामयिक विषयों पर व्याख्यान देना अच्छा लगता है। सामाजिक मूल्य और प्रकृति मेरे लेखन को प्रभावित करते हैं ।
साँस लेना भी कैसी आदत है जीये जाना भी क्या रवायत है कोई आहट नहीं बदन में कहीं कोई साया नहीं है आँखों में पाँव बेहिस हैं, चलते जाते हैं इक सफ़र है जो बहता रहता है कितने बरसों से, कितनी सदियों से जिये जाते हैं, जिये जाते हैं आदतें भी अजीब होती मोहनलाल की जीवन को दर्शाती यह कहानी विभिन्न पड़ाव से गुजरती हुई अब चरण में पहुंच चुकी है जब उस चरण में पहुंच गई है जब वहअपनी जीवन को समाप्त करना चाह रहा है | कैसी थी उसकी जीवन यात्रा ?? इस मार्मिक कहानी को सुनते हैं अमित तिवारी जी की आवाज में, मीरा राम निवास द्वारा लिखी कहानी जीवन यात्रा
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