डॉ.कमल मुसद्दी जी ने हिंदी साहित्य की विद्याओ – कविता , कहानी एकांकी परिचर्चाएं , साक्षात्कार आदि का लेखन कार्य किया| इन्होने आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रकाशित होने वाले साहित्यिक संगोष्ठियों एवं काव्य गोष्ठियों में अनेको बार प्रतिभागिता की| इनकी प्रकाशित कृत्य -‘अंजुरी भर ओस’ (काव्यसंग्रह) , ‘कटे हाथो के हस्ताक्षर ‘ (कवितासंग्रह), ‘वत्सला ‘ (कहानीसंग्रह), है | उनमे से एक महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान , कानपुर गौरव सम्मान मानस संगम, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राप्त वाचस्पति सम्मान मुख्य है |
इस समय डॉ.कमल मुसद्दी जी आयुध निर्माणी बोर्ड (भारतसरकार) द्वारा संचालित ओ० एफ० इंटर कॉलेज, अर्मापुर, कानपुर में हिंदी की प्रवक्ता है|
आज इस वैश्विक महामारी में चिकित्सा जगत से जुड़े सभी लोगों की जो भूमिका रही है उसके लिए गाथा उन सभी का हार्दिक अभिनंदन करता है ।धर्म, जाति और अपना निजी स्वार्थ को त्याग कर मानवता की सेवा करना ही जिनका एक मात्र उद्देश्य है।कमल मुस्सद्दी की यह कविता उन सभी को समर्पित है ।
आज इस वैश्विक महामारी में चिकित्सा जगत से जुड़े सभी लोगों की जो भूमिका रही है उसके लिए गाथा उन सभी का हार्दिक अभिनंदन करता है ।धर्म, जाति और अपना निजी स्वार्थ को त्याग कर मानवता की सेवा करना ही जिनका एक मात्र उद्देश्य है।कमल मुस्सद्दी की यह कविता उन सभी को समर्पित है ।
राहुल के लिए उसकी मां की ममता उसे अपने जीवन में हस्तक्षेप करने के समान लगती है |वह कई बार उनकी उपेक्षा भी कर देता है| किस प्रकार राहुल को एहसास होता है कि वह जिसको मां का हस्तक्षेप समझ रहा है ,वह उनकी ममता है| पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं कमल मुसद्दी द्वारा लिखी गई कहानी हस्ताक्षेप
आधुनिक परिवेश में पाल रहे अपने बच्चों की हर जिद, हर जरूरत को किसी भी तरह पूरा करते-करते एक मध्यवर्गीय परिवार किस प्रकार अपने बच्चों से ही पिछड़ जाता है । यह सोचने को मजबूर करती हुई बेहद भावुक कहानी है गति…….
वजूद कहानी उन सभी महिलाओं को समर्पित कहानी है,जो अपनी पूरी जिंदगी सिर्फ अपने परिवार के प्रति अपने कर्तव्य और समर्पण करने के बावजूद हमेशा उपेक्षित रहती हैं।उन्हें अपने प्रति भी उतना ही ध्यान रखना होगा। अपना एक वजूद बनाना ही होगा…….. इस ओर ध्यान केंद्रित करती हुई है कहानी “वजूद”…
हमारे जांबाज सैनिक सीमा पर डट कर ,दिन -रात मेहनत कर दुश्मनों से हमारी रक्षा करते हैं ,|उन्हीं के लिए कमल मुसद्दी की रचना तुम अकेले नहीं हो”, जिसमें उन्हें आश्वासन दिया गया है कि आप हमें हमारे साथ हैं, तो हर हालात में हम भी आपके साथ हैं|सुनते हैं इस खूबसूरत रचना को कमल मुसद्दी की आवाज में..
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