अविनाश को यह पहाड़ी कस्बा अत्यंत प्रिय था। जब कभी वह रोजमर्रा के जीवन से ऊंबता वह सोनवल की राह थाम लेता थाइस बार वह इस शहर में अकेले नही आया था। उसके साथ उसका दोस्त विकास था। अविनाश ने उसके सामने कुछ शर्ते रख दी थी। मसलन वह इस यात्रा को आरामदेह मान कर न चले। यह यात्रा नही एक एडवेंचर होगा
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