सुधा अरोड़ा की एक कहानी में एक औरत के वास्तविक रूप के पारदर्शिता साफ तौर पर झलकती है कि एक स्त्री की संपूर्णता उसके घर तक सीमित क्यों रह जाती है ? क्या वास्तव में एक स्त्री का जीवन सिर्फ अपने घर -परिवार तक ही सीमित होना चाहिए या फिर स्वयं के लिए भी उसे एक हिस्सा रखना चाहिए ? एक स्त्री के इतना सब कुछ करने के बावजूद क्या उसका खुद का कोई अस्तित्व बन पाता है? ऐसे ही प्रश्नों के ताने-बाने में उलझी हुई यह कहानी एक औरत तीन बटा चार सुनते हैं, शिवानी आनंद की आवाज में..
ये एक ऐसे युगल की कहानी है जो कार से ड्राइव करते हुए दूर किसी पार्टी में जा रहे हैं और उनमें निरंतर एक अन्य युगल, जिसका नाम मिस्टर एंड मिसेज मेहता है की आमदनी और जीवनशैली को लेकर बातचीत और नोकझोक चल रही है। अंततः एक फोन से उन्हें अवगत कराया जाता है कि मिस्टर मेहता का सारा दिखावा झूठ था और अब वह दिवालिया हो गए हैं।
यह कहानी कृषक वर्ग की चुनौतियों को हमारे सामने रखती है जिसके चलते उन्हें कई बार अपनी जान तक देनी पड़ती है।
यह कहानी कृषक वर्ग की चुनौतियों को हमारे सामने रखती है जिसके चलते उन्हें कई बार अपनी जान तक देनी पड़ती है।
Reviews for: Fanda kyu (फंदा क्यों )- Part- 1