मंटो की ये कहानी जीवन के कई पहलुओं पर नज़र डालती है , जैसा की हम जानते हैं मंटो ने उन औरतो और गलियों के बारे में बहुत लिखा है , जिन्हे लोगो बाज़ारू कहते हैं, पर इंसान वो भी हैं और एहसास उनके दिलों में भी होते हैं , ये कहानी भी एक ऐसी ही औरत की है , जो जवानी से बुढ़ापे की ओर बढ़ती है तो उसके जीवन में बहुत कुछ बदल जाता है
“मेरे घर से बाहर के रास्ते में कई बाजार और गलियां पड़ती थी | जहां मेरी आंखों ने देखा कई दिनों से बना पाकिस्तान अब जिंदाबाद हुआ है |” लेखक सआदत हसन मंटो ने हिंदुस्तान -पाकिस्तान बंटवारे के बाद जब पाकिस्तान गए ,तो वहां की स्थिति से रूबरू हुए | जो उन्हें बेहद जो बेहद अचंभित कर देने वाली थी |सुनते हैं अनुपम ध्यानी की आवाज में यह पूरा वृतांत “सवेरे जो कल मेरी आंख खुली “……
ग़ुलाम देश के लोगो की आखों में जब आज़ादी का सपना होता है तो एक अनपढ़ इंसान भी सपने देखने लगता है , वो सोचने लगता है सब बदल जायेगा , अब वो भी गोरों के बराबर हो जायेगे ,,,और ज़रूरत पड़ने पर इतने सालों से गोरों ने जो अत्याचार किये हैं उसपे , उनका बदला भी वो ले पायेगा , उसके कानो ने नए कानून के बारे में सुना होता है , पर क्या सच में नए कानून से कुछ बदलेगा ? क्या सच में नया कानून आएगा ?
मंटो की लिखी गयी सबसे ज्यादा मशहूर कहानियो में से एक है काली सलवार , ये कहानी एक ऐसे औरत की जो दिल्ली जैसे बड़े शहर में आ जाती है कुछ सपने सजा के , पर समय के साथ जब वो सपने धुंधले पड़ने लगते हैं तब एक शंकर नाम का आदमी उस के घर आता है और शायद दिल में भी, पर वो आदमी इस औरत को कुछ ऐसा देके जाता है जिसे पाकर वो समझ नहीं पाती की वो खुश हो या दुखी
हिंदुस्तान -पाकिस्तान दो झंडो के बीच खड़ा एक व्यक्ति जो लंबी दाढ़ी और फटे हाल में खड़ा हुआ जो मानसिक रूप से अस्वस्थ लग रहा हो
मंटो की कहानियां हमेशा की समाज की उन वास्तविकताओं से हमें रूबरू करवाती हैं , जिन्हे हम देख के भी अनदेखा क्र देते हैं,,, ये कहानी भी समाज की उन आवाज़ों को सुनाने का प्रयास करती है , जिन्हे हम सुनते तो हैं पार्ट अनसुना कर देते हैं ,,, गरीब परिवार में होने पर ये आवाज़ें कुछ ज्यादा ही सुनाई देने लगती हैं ,, आप भी सुने ,,और बताएं क्या सुना आपने ?
ये कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने जीवन में कभी हार नहीं मानी।, जीवन में बहुत सी विसम परिस्तिथियाँ आई पर उनके क़दम कभी नहीं डगमगाए और वो हर मुश्किल का सामना करते हुए , सकरात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते गए , इनकी कहानी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है
प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग इगतपुरी महाराष्ट्र के नासिक जिले में पश्चमी घाट पर स्थित स्ह्याद्री पर्वतमाला से घिरी यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। प्रकृति ने इस जगह को क्या खूब सजाया-संवारा और खूबसूरती बक्शी है। प्रकति प्रेमियों को यहां एक बार ज़रूर जाना चाहिए
दुनिया की सबसे पुरानी हस्तनिर्मित गुफायें बराबर और नागार्जुन पर्वतों को भारतवर्ष के सबसे पुरातन और ऐतिहासिक पर्वतों में गिना जाता है। इस जगह पर कभी मगध का साम्राज्य हुआ करता था इसलिए1100 फुट ऊंचे बराबर और नागार्जुन पर्वतों को मगध का हिमालय भी कहा जाता है। प्रकति प्रेमियों को यहां एक बार ज़रूर जाना चाहिए
ज़िंदगी में बहुत आगे निकल आने पर भी हमें कई बार महसूस होता है कि अतीत हम में आज भी ज़िंदा है| हम उससे कितना ही पीछा छुड़ाने की कोशिश क्यों न कर लें पर वो हमारा पीछा कभी नहीं छोड़ता और रह -रह कर हमारी आँखों के सामने आता रहता है , ऐसे में इंसान क्या करे? कभी अतीत के आगे झुकने का मन करता है तो कभी उससे लड़कर आगे बढ़ने का , इसी कशमकश को बयां करती ये कहानी…
कहते हैं “ अपनी धरती और जड़ों से जुड़कर ही मनुष्य अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है क्योंकि वे जड़े ही उसकी ज़िन्दगी को मज़बूती देती हैं जिनके सहारे वह आगे सदा आगे बढ़ता है और ज़िन्दगी को गहराई से समझता है “ सब उसे प्यार और दुलार से बाला पुकारते थे और बहुत कम उम्र में ही बाला ने इस बात को समझ कर जीवन में धारण कर लिया था इनका जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है , आइये जानते हैं इनके बारे में
कहानी बृहस्पति देव के बेटे कच की है, जो शंकराचार्य के पास अमर जीवन का रहस्य प्राप्त कर स्वर्ग-लोक को जाने के लिए तैयार हैं |जाने से पहले गुरु पुत्री उसकी तथा देवयानी से भेंट करने के लिए आता है, किंतु देवयानी कच को समझाने का प्रयत्न करती है कि संसार में यह मिथ्या होगा कि केवल शिक्षा का मूल है परंतु प्रेम का कोई मूल्य नहीं है | क्या वह देवयानी के प्रेम का उपहास करता है ? क्या वह नारी हृदय की वेदना को समझ पाता है? क्या वह प्रेम के मूल्य को समझ पाता है ? इसे जानने के लिए सुनते हैं रविंद्र नाथ ठाकुर के द्वारा लिखी गई कहानी प्रेम का मूल्य ,शिवानी आनंद की आवाज में…
पाषाणी मृगमयी नाम की एक लड़की की कहानी है, जिससे अपूर्व नाम के लड़के को प्रेम होता है तथा वह उससे विवाह भी करता है। किंतु मृगमयी की प्रकृति से बचपना है की जाने का नाम नहीं लेता। परिस्थितियां विपरीत तब होती हैं जब अपूर्व कई वर्षो के लिए कलकत्ता चला जाता है और लौट कर नहीं आता…
कहानी निशिकांत के दफ्तर की है जिसमें निशिकांत और सहकर्मी छोटे -बाबू के बीच में कहा-सुनी हो जाती है |इस कहा-सुनी की क्या वजह रही और यह कहासुनी बहुत हद तक बढ़ जाती है और उसके बाद क्या फिर से उनके बीच दोस्ती हो पाती है ? कहानी में आगे क्या होता है ?इस पूरी कहानी को जानने के लिए सुनते हैं विष्णु प्रभाकर के द्वारा लिखी गई कहानी दफ्तर में नयनी दीक्षित की आवाज में
दुःशासन द्रौपदी के बाल खींचकर भरी सभा में ले आता है और उसे अपमानित करना चाहता है। तब द्रौपदी बड़े साहस एवं निर्भीकता के साथ दुःशासन को निर्लज्ज और पापी कहकर पुकारती है।द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी जी ने इस खंडकाव्य को जितने प्रभावी ढंग से वर्णन किया है ,उतने ही प्रभावी ढंग से नयनी दीक्षित ने आवाज दी है
सामाजिक व्यवस्था के उस रूप को देखकर गरीब व्यक्ति की उस मनोदशा को दर्शाती यह कहानी जब वह श्रमजीवी लोगों को अपनी जैसी स्थिति में पाता है तो वह बिना श्रम के ही अपना जीवन व्यतीत करना चाहता है ऐसे में वह सारे मानवीय और आत्मीय रिश्तो को दफन कर देता है वो संवेदनाओ से विहीन होकर किसी अपने की मृत्यु का भी शौक नहीं करता अपितु उस बात का फायदा उठाकर अपनी जिंदगी का लुत्फ उठाना चाहता है । हृदयस्पर्शीऔर मार्मिक कहानी है मुंशी प्रेमचंद्र की कफन।
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