विक्रमादित्य के सिंहासन की दूसरी पुतली चित्रलेखा द्वारा सुनाई गई कहानी जिसमें एक साधु विक्रमादित्य को एक फल देता है और उसे एक यशस्वी पुत्र की प्राप्ति होने का वरदान देता है |क्या है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में कहानी विक्रम और बेताल की कहानियों में से एक कहानी सिंघासन बत्तीसी -दूसरी पुतली चित्रलेखा
एक बार कृष्णदेव राय के राज्य में चूहों का आतंक हो गया |इससे निपटने के लिए कृष्ण देव राय ने सभी को एक बिल्ली दी और उस बिल्ली को दूध पिलाने के लिए एक गाय भी दी | अब तेनालीरामा ने इस पूरे प्रकरण में क्या किया और अंत में राजा को किस बात का एहसास हुआ? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं तेनाली रामा की कहानियों में से एक कहानी दूध ना पीने वाली बिल्ली, शिवानी आनंद की आवाज में…
अतृप्त आत्माओं से भरे एक महल की कथा जिसका एक एक पत्थर जिंदा व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
पोस्टमास्टर साहब के तबादले के लिए संघर्ष और उनके चले जाने की बात सुनकर अधीर हो उठी उनकी सेविका रतन की कहानी।
राजा विक्रमादित्य वृद्ध हो गए थे तथा अपना योग बल से उन्होंने यह भी जान लिया था कि उनका अंतिम समय काफी निकट आ गया है विक्रमादित्य की मृत्यु के पश्चात उनका पुत्र सिंहासन पर नहीं बैठ पाया, अंत में उनके पुत्र ने राजा विक्रमादित्य के सिंहासन के लिए क्या और कैसे निर्णय लिया ? इस पूरी कहानी इकत्तीसवीं पुतली कौशल्या विक्रमादित्य की मृत्यु को जानने के लिए सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में ..
राजा भोज को राजा विक्रमादित्य के देवताओं वाले गुणों की कथाएँ सुनकर उन्हें ऐसा लगा कि इतनी विशेषताएँ एक मनुष्य में असम्भव हैं और मानते हैं कि उनमें बहुत सारी कमियाँ है। अत: उन्होंने सोचा है कि सिंहासन को फिर वैसे ही उस स्थान पर गड़वा देंगे जहाँ से इसे निकाला गया है। सिंहासन के गड़वा पुनः देने के पश्चात आगे क्या हुआ ?इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी बत्तीसवीं पुतली रानी रूपवती, शिवानी आनंद की आवाज में..
राजा विक्रमादित्य के दरबार में लोग अपनी समस्याएँ लेकर न्याय के लिए तो आते ही थे कभी-कभी उन प्रश्नों को लेकर भी उपस्थित होते थे जिनका कोई समाधान उन्हें नहीं सूझता था। विक्रम उन प्रश्नों का ऐसा सटीक हल निकालते थे कि प्रश्नकर्त्ता पूर्ण सन्तुष्ट हो जाता थाएक दिन दो तपस्वी दरबार में आए और उन्होंने विक्रम को अपने प्रश्न का उत्तर देने की विनती की। उनमें से एक का मानना था कि मनुष्य का मन ही उसके सारे क्रिया-कलाप पर नियंत्रण रखता है और मनुष्य कभी भी अपने मन के विरुद्ध कुछ भी नहीं कर सकता है। दूसरा उसके मत से सहमत नहीं था। उसका कहना था कि मनुष्य का ज्ञान उसके सारे क्रिया-कलाप नियंत्रित करता हैइस प्रश्न का उत्तर विक्रमादित्य किस प्रकार देते हैं इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी उन्नीसवी पुतली रूपरेखा राजा विक्रमादित्य,शिवानी आनंद की आवाज में…
राजा विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन राज्य की समृद्धि आकाश छूने लगी थी। उन दिनों एक सेठ हुआ जिसका नाम पन्नालाल था। वह बड़ा ही दयालु तथा परोपकारी था | अब जब पन्नालाल ने अपने बेटे हीरालाल के विवाह के संबंध में सोचा तो उसके सामने एक बहुत बड़ी समस्या आ गई | वह समस्या क्या थी और विक्रमादित्य ने उसे कैसे हल किया? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में सिंहासन बत्तीसी-पन्द्रहवीं पुतली – सुंदरवती
राजा विक्रमादित्य न सिर्फ अपना राजकाज पूरे मनोयोग से चलाते थे, बल्कि त्याग, दानवीरता, दया, वीरता इत्यादि अनेक श्रेष्ठ गुणों के धनी थे। वे किसी तपस्वी की भाँति अन्न-जल का त्याग कर लम्बे समय तक तपस्या में लीन रहे सकते थे। ऐसा कठोर तप कर सकते थे कि इन्द्रासन डोल जाए।विक्रमादित्य की कठिन साधना से किस प्रकार इंद्र का आसन भी डोल गया इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानी में से एक कहानी छब्बीसवीं पुतली मृगनयनी रानी का विश्वासघात ,शिवानी आनंद की आवाज में
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pragati sharma