एक बार राजा विक्रमादित्य दरबार में बैठे थे और दरबारियों से बातचीत कर रहे थे। बातचीत के क्रम में दरबारीयों में इस बात पर बहस छिड़ गई कि मनुष्य जन्म से बड़ा होता है या कर्म से। बहस का अन्त नहीं हो रहा था, क्योंकि दरबारियों के दो गुट हो चुके थे। एक कहता था कि मनुष्य जन्म से बड़ा होता है क्योंकि मनुष्य का जन्म उसके पूर्वजन्मों का फल होता है। राजा विक्रमादित्य ने किस प्रकार प्रत्यक्ष उदाहरण देकर इस बहस का अंत किया? यह जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी की कहानी तेइसवीं पुतली धर्मवती मनुष्य जन्म से बड़ा होता है या कर्म से ,शिवानी आनंद की आवाज में …
महाभारत की कहानियों में से एक कहानी है “अश्वत्थामा और अर्जुन का युद्ध “ | महाभारत के युद्ध में एक ऐसा भी समय आया जब अर्जुन ,अश्वत्थामा के आगे निष्प्रभावशाली दिखाई दिए | इस प्रसंग का पूरा वर्णन सुनते हैं, शिवानी आनंद की आवाज में |
राक्षसों के चंगुल से एक युवती को ,राजा विक्रमादित्य ने किस प्रकार अपने पराक्रम के द्वारा मुक्त कराया ?इसे जानने के लिए पूरी कहानी सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में सिंहासन बत्तीसी से ली गई कहानी सिंहासन बत्तीसी-बारहवी पुतली – पद्मावती
विक्रमादित्य के राज्य में एक गरीब दरिद्र ब्राह्मण और भाट रहते थे |दोनों की पुत्रियों के विवाह के लिए उन दोनों के पास धनराशि नहीं थी | विक्रमादित्य ने दोनों की पुत्रियों के विवाह के लिए धन प्रदान किया| किंतु भाट को 1000000 स्वर्ण मुद्राएं ,जबकि ब्राह्मण को कुछ सौ स्वर्ण मुद्राएँ ही प्रदान की | विक्रमादित्य ने इस प्रकार का पक्षपात क्यों किया? इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी पच्चीसवीं पुतली त्रिनेत्री ईश्वर से आस ,शिवानी आनंद की आवाज में..
राजा विक्रमादित्य की गुणग्राहिता का कोई जवाब नहीं था। वे विद्वानों तथा कलाकारों को बहुत सम्मान देते थे। उनके दरबार में एक से बढ़कर एक विद्वान तथा कलाकार मौजूद थे, फिर भी अन्य राज्यों से भी योग्य व्यक्ति आकर उनसे अपनी योग्यता के अनुरुप आदर और पारितोषिक प्राप्त करते थे। एक दिन विक्रम के दरबार में दक्षिण भारत के किसी राज्य से एक विद्वान आया उसका मानना था कि विश्वासघात विश्व का सबसे नीच कर्म है। उसने राजा को अपना विचार स्पष्ट करने के लिए एक कथा सुनाई। वह कथा क्या थी इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानीअठारहवीं पुतली तारामती विक्रमादित्य और विद्वानों तथा कलाकारों का सम्मान ,शिवानी आनंद की आवाज में…
राजा विक्रमादित्य वृद्ध हो गए थे तथा अपना योग बल से उन्होंने यह भी जान लिया था कि उनका अंतिम समय काफी निकट आ गया है विक्रमादित्य की मृत्यु के पश्चात उनका पुत्र सिंहासन पर नहीं बैठ पाया, अंत में उनके पुत्र ने राजा विक्रमादित्य के सिंहासन के लिए क्या और कैसे निर्णय लिया ? इस पूरी कहानी इकत्तीसवीं पुतली कौशल्या विक्रमादित्य की मृत्यु को जानने के लिए सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में ..
वास्तव में सच्ची प्रेमिका अपने प्रेमी से प्रेम करती हैं ,ना कि उनके धन से | विक्रमादित्य के राज्य में एक ऐसी प्रेमिका की कहानी है जो अपने प्रेमी की सहायता से अपने निरपराध पति की हत्या कराना चाहती है |आखिर क्यों ?विक्रमादित्य इस पर क्या न्याय देते हैं?इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी चौबीसवीं पुतली करुणावती चरित्रहीन स्त्री से प्रेम सिर्फ विनाश की ओर ले जाता है, शिवानी आनंद की आवाज में…
Reviews for: Sinhasan Battisi – twentythree Putli dharmvati (सिंहासन बत्तीसी -तेइसवीं पुतली – धर्मवती)